Wednesday, March 12, 2014

दोषी कौन !

जेनेरेशन गैप 

पीढ़ी दर पीढ़ी
यही चलती रही है
चलती रहेगी यही सोच ।
आज अस्सी साल का बुजुर्ग
कल चालीस वर्ष की वय मे
ऐसा ही तो था अपने सोच मे ।
कारण - पता नहीं
अनुभव की कमी या फिर
युवावस्था का जोश ?
फिर दोष किसे दें ?

चलेगा ऐसे ही
पीढ़ी दर पीढ़ी !! 

 
........ अरुण 
(मंगलवार , 12 मार्च , 2014)  

Sunday, March 2, 2014

अनुत्तरित


अनुत्तरित  


बछिया गाय से दूध का हिसाब मांगे है 
बड़े ही गूढ गूढ सवालों के जवाब मांगे है ॥


एक तरफ हरियाली दूजे ओर रेगिस्तान क्यूँ 
उसी के पेंड पौधों ने धरती से जवाब मांगे है ॥


रास नहीं आता  छांव  अपनी हरी भरी धरती की 
हिमालय
हो दुरुस्त कैसे  इंडीज* से सुझाव मांगे है ॥ 

बच्चे को बाप की शकल मंजूर नहीं तभी तो 
कितने हैं गिनती में हिन्दू मुसलमान मांगे है ।।


पल्लवित हो पुष्प पहुंचे जब शोखियों के शिखर पर 
माली के ही सँजोये सारे सपने  सारे ख्वाब मांगे है ॥ 


बछिया गाय से दूध का हिसाब मांगे है 
बड़े ही गूढ गूढ सवालों के जवाब मांगे है ॥

.......... अ कु मिश्र  

(वाराणसी मार्च ०१ , २०१४)  


नोट : * इंडीज अमेरिका का एक विश्व प्रसिद्ध पर्वत

Wednesday, January 15, 2014

सिंथेटिक दूध 

सिंथेटिक दूध सिंथेटिक दही
ग़ुम गयी जाने कहाँ 

असली गर्माहट रिश्तों की

मिल रही थोक में 

मुस्कान की सिंथेटिक दूध 

हंसी की सिंथेटिक दही ।

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अंजुरी से निकल नहीं पा रहा 
ओसार में रिस  रिस  के आता

अनचाहा
गंदे बाढ़ का तेज पानी

न चाहा फिर भी घुल  जाता  
मिल जाता  अपनी घर की माटी  में 
कींचड़  से सना  बाढ़  का पानी 

शनैः शनैः  फिर  
अब उसी की चमक 
दिखती है  
और  दिखता है

ढिठाई  भरे  उसके होठों  पर 

मुस्कान की सिंथेटिक दूध 
हंसी की सिंथेटिक दही ।
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............ अरुण 
बुधवार , 15 जनवरी 2014