दर्द
आरक्षण के डोर में फंसा समूचा तंत्रऔ बीच बीच में डांक के नेता फूकें मंत्र
नेता फूंकें मंत्र भले जनता चिल्लाये
जाति में बंट गए लोग देस भक्खद में जाए
कहै अरुण घबराय त्राहि त्राहि है हर क्षण
कुछ करो नहीं तो प्राण सोख लेगा आरक्षण ।
..................... अरुण
( १३ सितम्बर २००१)