Thursday, October 29, 2009

गाड़ी आई
गाड़ी आई गाड़ी आई
मुन्नू आओ चुन्नू आओ
बड़े बड़े टोकरे लाओ
चाट चटपटे भरकर लाई
गाडी आई

गाड़ी आई गाड़ी आई
सप्पा आए बसपा आए
कांग्रेस भजप्पा आए
दलदल में से निर्दल आए
सबने अपनी दौड़ लगाई
गाड़ी आई

भजप्पा की पीठ पर बैठी माया की सरकार
बाएँ पोटा दाएं सोटा कस-कस करती वार
दुलुक दुलुक भजप्पा चलती चेहरा लहूलुहान
जलकर झुलस गयी सब उसकी वोटों की खलिहान
सत्ता की यह भूखी लिप्सा करा रही उससे बेहयाई
गाड़ी आई

मंत्री सांसद फूले फूली भ्रष्टाचार की हाँडी
जयललिता की काया चलती ममता जी की वाणी
अटल बिहारी बने मदारी महुअर अलग बजावैं
उनके साथ के बन्दर भालू अपने ही सुर गावैं
गया स्वदेसी तेल बेचने माल बिदेसी भरभर लाई
गाड़ी आई - कोकाकोला पेप्सी लाई - गाड़ी आई

पञ्च तत्त्व में पाँच वर्ष का मौका हुआ विलीन
जनता के उम्मीद की काया हो गई पूरी क्षीण
वादों से तो पल्टी मारे भूल गए हिंदुत्व
बंगारू सुखरामों के संग सत्ता मद में धुत्त
निकट चुनाव देखकर फ़िर से मन्दिर का झुनझुनवा लाई
गाड़ी आई - राम राज के सपने लाई - गाड़ी आई

सोनिया जी जो हिन्दी बोलें
लालू भईया अंग्रेजी
लट्ठ की बोल मुलायम बोलें
मारें फुफकार बहन जी
फुदक फुदक कर जोर लगाते
ख़ुद भी हैं भयभीत
इनकी दांव पेंच से जनता चारो खाने चित्त
बनी नेताइन नेता कट में
इटली की नन्मुनियाँ आई
गाड़ी आई
नही हैं नेता आज प्रणेता
अब है नया जमाना
सुरवा कनवां को धक्का मारा
पहुंचा ऐन्चाताना
जातपांत की बात पे
तुमने ही तो दी थी साथ
अब क्यों रोते हो जब
नेता धरन न देता हाथ
अपनी करनी अपने भोगो
नेता को नहि दोस गोसाईं
गाड़ी आई

............... अरुण
( फरवरी २००३ )




2 comments:

  1. Ye to bahot acchee likhi hai :) ... Vaise blogging is really a nice way to put one's idea across. It's easy too. Isn't it? One can use it as a diary.

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  2. ये सरकारी गाड़ी के ................
    बड़े खेल हैं निराले
    झुक झुक करके चलती है
    पर सबको खूब दोड़ती
    हम तो इस खेल की ............
    ये बी सी भी नहीं जानते
    पर उनका खेल देख कर
    दो अक्षर बोल ही डालते !

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