Tuesday, April 5, 2011

भदेस

भारत हमारा देस है 
सर्वत्र स्वच्छंद परिवेश है 
सभी को समस्त सुविधाएं हैं 
सब फले फूले मोटाये हैं 
दुविधा  का दलदल है 
कहाँ कोई क्लेश है ?
भारत हमारा देस है 

कोई भी श्वान 
कभी भी कहीं भी कुछ भी 
भौंक सकता है !
बनाकर सड़क को नाला 
वराह जब चाहे जितना 
लोट सकता है !
उपलब्ध है चारागाह 
हर प्रकार के गर्दभों को !
राजकीय टिड्डी दल 
हमारे खेतों को खोंट सकता है !
सभी चीजों का सर्वत्र समावेश है 
भारत हमारा देस है.

भूखे भेड़ियों को 
व्यभिचार का चारा 
जन प्रतिनिधियों को 
नारों का नगाड़ा 
चुगने की - बजाने की 
पूर्ण स्वतन्त्रता है !
भिक्षुक जनसेवक भिक्षाटन में 
बाहुबली जन-त्राटन में 
तो बाबा जी वाचन में 
तन्मयता से व्यस्त हैं !

मेरे भाई यही तो सत्य है.
मत कहिये देस में भदेस है
इसी में रच बस जाइए 
यही अब अपने पूर्वजों का देस है
सर्वत्र स्वच्छंद परिवेश है.
भारत हमारा देस है !!

......अरुण
(सोमवार १३ जून २००३ )

6 comments:

  1. मेरे भाई यही तो सत्य है.
    मत कहिये देस में भदेस है
    इसी में रच बस जाइए
    यही अब अपने पूर्वजों का देस है
    सर्वत्र स्वच्छंद परिवेश है.
    भारत हमारा देस है !!
    bahut sahi kaha

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  2. वाह ...बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  3. Bahot acchee hai.Especially last stanza :)

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  4. आप सबका आभारी हूँ जो आपने समय दिया . धन्यवाद !

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  5. इधर से उधर में छुप - छुप के जी जा रही हूँ |
    फिर हर दम देश की माला जपे जा रही हूँ |
    kuch yesa hi kehna chah rahen hain n
    sundar prastuti

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