भारत हमारा देस है
सर्वत्र स्वच्छंद परिवेश है
सभी को समस्त सुविधाएं हैं
सब फले फूले मोटाये हैं
दुविधा का दलदल है
कहाँ कोई क्लेश है ?
कहाँ कोई क्लेश है ?
भारत हमारा देस है
कोई भी श्वान
कभी भी कहीं भी कुछ भी
भौंक सकता है !
बनाकर सड़क को नाला
वराह जब चाहे जितना
लोट सकता है !
उपलब्ध है चारागाह
हर प्रकार के गर्दभों को !
राजकीय टिड्डी दल
हमारे खेतों को खोंट सकता है !
सभी चीजों का सर्वत्र समावेश है
भारत हमारा देस है.
भूखे भेड़ियों को
व्यभिचार का चारा
जन प्रतिनिधियों को
नारों का नगाड़ा
चुगने की - बजाने की
पूर्ण स्वतन्त्रता है !
भिक्षुक जनसेवक भिक्षाटन में
बाहुबली जन-त्राटन में
तो बाबा जी वाचन में
तन्मयता से व्यस्त हैं !
मेरे भाई यही तो सत्य है.
मत कहिये देस में भदेस है
इसी में रच बस जाइए
यही अब अपने पूर्वजों का देस है
सर्वत्र स्वच्छंद परिवेश है.
भारत हमारा देस है !!
......अरुण
(सोमवार १३ जून २००३ )
मेरे भाई यही तो सत्य है.
ReplyDeleteमत कहिये देस में भदेस है
इसी में रच बस जाइए
यही अब अपने पूर्वजों का देस है
सर्वत्र स्वच्छंद परिवेश है.
भारत हमारा देस है !!
bahut sahi kaha
वाह ...बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteBahot acchee hai.Especially last stanza :)
ReplyDeleteआप सबका आभारी हूँ जो आपने समय दिया . धन्यवाद !
ReplyDeleteइधर से उधर में छुप - छुप के जी जा रही हूँ |
ReplyDeleteफिर हर दम देश की माला जपे जा रही हूँ |
kuch yesa hi kehna chah rahen hain n
sundar prastuti
धन्यवाद दोस्त जी.
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